एफ़टीपी क्या है? कैसे काम करता है – (What Is File Transfer Protocol In Hindi)

What Is FTP In Hindi: आज के इस लेख में हम आपको बताएंगे कि एफटीपी प्रोटोकॉल क्या है, एफटीपी प्रोटोकॉल कैसे काम करता है, एफटीपी प्रोटोकॉल के प्रकार, एफटीपी प्रोटोकॉल के फायदे और नुकसान क्या है।

हमें उम्मीद है कि इस लेख को पढ़ने के बाद आपको एफटीपी के बारे में जानने के लिए किसी और लेख पर जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। इसलिए आपको इस लेख को अंत तक जरुर पढ़ना चाहिए।

तो चलिए आपका ज्यादा समय न लेते हुए इस लेख को शुरू करते हैं और जानते हैं कि एफटीपी प्रोटोकॉल क्या है –

एफ़टीपी क्या है? (What Is FTP In Hindi)

एफ़टीपी यानी फाइल ट्रांसफर प्रोटोकॉल एक क्लाइंट-सर्वर नेटवर्क प्रोटोकॉल है जो टीसीपी/आईपी कनेक्शन पर कंप्यूटर के बीच फाइलों को ट्रांसमिट करने की अनुमति देता है। एफ़टीपी को टीसीपी/आईपी के तहत एक एप्लीकेशन लेयर प्रोटोकॉल माना जाता है। एफ़टीपी प्रोटोकॉल द्वारा फाइलों के आदान-प्रदान में, अंतिम उपयोगकर्ता के कंप्यूटर को लोकल होस्ट कहा जाता है और दूसरा कंप्यूटर रिमोट सर्वर होता है।

क्लाइंट एफटीपी प्रोटोकॉल के जरिए सर्वर पर फाइल अपलोड, डाउनलोड, रीनेम, डिलीट, मूव, कॉपी आदि कर सकते है। इसके लिए क्लाइंट को एफटीपी सर्वर में लॉगइन करना होता है।

एफ़टीपी सर्वर में लॉग इन करने के बाद, क्लाइंट एक साथ अपने होस्टिंग सर्वर और कंप्यूटर पर मौजूद फाइलों तक पहुंच सकता है। जब एक वेब डेवलपर एक वेबसाइट बनाता है, तो वह एफटीपी प्रोटोकॉल के जरिए ही सर्वर पर फाइल अपलोड कर सकता है। एफ़टीपी प्रोटोकॉल आमतौर पर क्लाइंट के साथ संचार के लिए पोर्ट नंबर 21 का उपयोग करता है।

एफ़टीपी सर्वर का उपयोग करने के लिए एक सॉफ्टवेयर की आवश्यकता होती है। FileZilla एफ़टीपी सर्वर के लिए दुनिया भर के वेब डेवलपर्स द्वारा उपयोग किया जाने वाला एक लोकप्रिय सॉफ्टवेयर है। इसके अलावा भी कई ऐसे सॉफ्टवेयर उपलब्ध हैं जिनके जरिए क्लाइंट एफ़टीपी को सर्वर एक्सेस कर पाता है।

एफ़टीपी का फुल फॉर्म क्या है? (FTP Full Form In Hindi)

एफ़टीपी का फुल फॉर्म फाइल ट्रांसफर प्रोटोकॉल है, जिसे हिंदी में फाइल स्थानांतरण प्रोटोकॉल भी कहते हैं।

एफ़टीपी का इतिहास (History Of FTP In Hindi)

एफ़टीपी का पहला विनिर्देश 16 अप्रैल, 1971 को RFC114 के रूप में प्रकाशित किया गया था और इसे एमटीआई विश्वविद्यालय (मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी) के छात्र अभय भूषण द्वारा विकसित किया गया था। एफ़टीपी को विकसित करने का मुख्य उद्देश्य इंटरनेट के पूर्वज ARPANET नेटवर्क पर NCP (नेटवर्क कंट्रोल प्रोग्राम) के माध्यम से फ़ाइलों को सुरक्षित रूप से स्थानांतरित करना था।

जैसे-जैसे इंटरनेट लोकप्रिय होने लगा और यह पूरी दुनिया में फैलने लगा। एफटीपी में एनसीपी की जगह टीसीपी/आईपी का इस्तेमाल होने लगा और एफटीपी को भी अपडेट किया जाने लगा।

1980 में दक्षिणी कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में सूचना विज्ञान संस्थान के एक शोध वैज्ञानिक जॉन पोस्टेल ने RFC765 के रूप में एफटीपी का एक नया संस्करण विकसित किया। लगभग 5 साल बाद, एफटीपी का नया संस्करण RFC 959 के रूप में प्रकाशित हुआ। इसने एफटीपी में कई प्रकार की क्षमताओं को भी विकसित किया गया, जिसमें फ़ाइल डायरेक्टरी बनाने और हटाने की क्षमता भी थी।

एफटीपी का एक और नया संस्करण 1997 में RFC 2228 के रूप में प्रकाशित किया गया था, और दो साल बाद IPv6 प्रोटोकॉल का समर्थन करने के लिए एफटीपी को RFC 2428 के रूप में प्रकाशित किया गया।

एफटीपी प्रोटोकॉल कैसे काम करता है? (How Does FTP Protocol Work in Hindi)

एफटीपी के काम करने का तरीका बहुत ही सरल है, जैसा कि आप अब तक समझ गए होंगे कि एफटीपी क्लाइंट-सर्वर प्रोटोकॉल है जो क्लाइंट और सर्वर के मध्य संचार स्थापित करने में मदद करता है।

जब यूजर एफटीपी क्लाइंट या एफटीपी सॉफ्टवेयर के जरिए होस्टिंग सर्वर पर रिक्वेस्ट भेजता है तो सर्वर उपयोगकर्ता को अपना सारा डेटा डायरेक्टरी के रूप में बताता है, लेकिन इसके लिए एफटीपी सॉफ्टवेयर को उपयोगकर्ता की होस्टिंग से कनेक्ट होना जरूरी है। यूजर को एफटीपी सर्वर में यूजरनेम और पासवर्ड की जरूरत होती है।

जब उपयोगकर्ता किसी फ़ाइल को डाउनलोड या अपलोड करना चाहता है, तो क्लाइंट एफटीपी प्रोटोकॉल के माध्यम से सर्वर से संचार करता है और उपयोगकर्ता फ़ाइलों में परिवर्तन कर सकता है। एफ़टीपी के माध्यम से एक क्लाइंट सर्वर पर फाइलों को अपलोड, डाउनलोड, डिलीट, रीनेम, ट्रांसफर और कॉपी कर सकता है। एफ़टीपी पोर्ट 21 पर क्लाइंट को सुनता है।

एफ़टीपी की आवश्यकता क्यों पड़ती है?

एक सिस्टम से दूसरे सिस्टम में फाइलों को ट्रांसफर करना काफी आसान होता है। हम एफ़टीपी के बिना भी फाइल ट्रांसफर कर सकते हैं लेकिन फिर भी हमें एफ़टीपी की जरूरत पड़ती है क्योंकि फाइल ट्रांसफर करते समय यूजर को कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

जैसे (दो कंप्यूटरों की संरचना भिन्न हो सकती है, दो कंप्यूटरों का फ़ाइल प्रारूप भिन्न हो सकता है और दो कंप्यूटर अलग-अलग तरीके से टेक्स्ट और डेटा का प्रतिनिधित्व करते हो) एफ़टीपी इन सभी समस्याओं को दूर करता है और दो कनेक्शन स्थापित करता है।

एक कनेक्शन का उपयोग डेटा ट्रांसफर करने के लिए किया जाता है और दूसरे कनेक्शन का उपयोग डेटा को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है।

एफटीपी प्रोटोकॉल के प्रकार (Types Of Protocol In Hindi)

एफटीपी प्रोटोकॉल कई प्रकार के होते हैं, एफटीपी प्रोटोकॉल के कुछ प्रमुख प्रकार इस प्रकार हैं –

Anonymous FTP

इस प्रकार के एफ़टीपी का उपयोग करके, उपयोगकर्ता बिना उपयोगकर्ता नाम और पासवर्ड के डेटा को स्थानांतरित कर सकता है। यह एफ़टीपी प्रोटोकॉल का सबसे बुनियादी रूप है।

Password Protected FTP

इस प्रकार के एफ़टीपी का उपयोग करने के लिए उपयोगकर्ता को यूजरनेम और पासवर्ड की आवश्यकता होती है। यह सबसे बुनियादी एफ़टीपी में से एक है।

File Transfer Protocol Secure

फाइल ट्रांसफर प्रोटोकॉल सिक्योर को FTPS के नाम से जाना जाता है, यह एफ़टीपी काफी पुराना है। इस प्रकार के एफ़टीपी में सारा डाटा एन्क्रिप्टेड या सिक्योर रहता है। इन्हें हैकर आसानी से हैक नहीं कर सकता है।

SSH File Transfer Protocol

इस प्रकार के एफ़टीपीको SFTP कहा जाता है। एसएफटीपी में सुरक्षित कनेक्शन के लिए सिक्योर सेल का उपयोग किया जाता है। एसएफटीपी में ऑथेंटिकेशन के लिए यूजर आईडी, पासवर्ड के साथ SSH Key का भी इस्तेमाल किया जाता है।

एफ़टीपी कनेक्शन के प्रकार (Types Of FTP Connections In Hindi)

  1. Control Connection
  2. Data connection

1- कंट्रोल कनेक्शन (Control Connection)

एफ़टीपी सर्वर को कमांड भेजने और सर्वर से संदेश प्राप्त करने के लिए कंट्रोल कनेक्शन का उपयोग किया जाता है। जब कोई एफ़टीपी क्लाइंट एफ़टीपी सर्वर के साथ आपस में जुड़ता है, तो यह FTP (TCP) प्रोटोकॉल का उपयोग करके कण्ट्रोल कनेक्शन का निर्माण करता है। संचार के दौरान कण्ट्रोल कनेक्शन बहुत सरल नियमों का उपयोग करता है।

2- डेटा कनेक्शन (Control Connection)

जब एफ़टीपी क्लाइंट एफ़टीपी सर्वर के साथ डेटा का आदान-प्रदान करता है, जैसे (एफ़टीपी सर्वर में फाइल अपलोड करना और डाउनलोड करना), तो यह एफ़टीपी (यूडीपी प्रोटोकॉल) का उपयोग करके डेटा कनेक्शन का निर्माण करता है। यह संचार के दौरान बहुत ही जटिल नियमों का उपयोग करता है।

एफ़टीपी क्लाइंट क्या है? (What Is FTP Client In Hindi)

यह एक प्रोग्राम है जो फाइल ट्रांसफर प्रोटोकॉल को लागू करता है। दूसरे शब्दों में, एफ़टीपी क्लाइंट एक प्रकार का प्रोग्राम है जिसका उपयोग सर्वर में फ़ाइलों को अपलोड करने, डाउनलोड करने और प्रबंधित करने के लिए किया जाता है।

यह सिस्टम में डेटा ट्रांसफर करने की अनुमति देता है। इसमें कमांड का एक सेट होता है जिसका प्रयोग उपयोगकर्ता द्वारा एक सिस्टम को दूसरे सिस्टम के साथ कनेक्ट करने के लिए किया जाता है।

एफ़टीपी क्लाइंट के प्रकार (Types Of FTP Clients In Hindi)

इसके चार प्रकार होते हैं –

  • FileZilla
  • Transmit
  • WinSCP
  • WS_FTP

FileZilla – यह Windows, macOS और Linux के लिए एफ़टीपी क्लाइंट है जो FTP, FTPS और SFTP को सपोर्ट करता है।

Transmit – यह macOS के लिए एफ़टीपी क्लाइंट है जो FTP और SSH को सपोर्ट करता है।

WinSCP – यह एक विंडोज एफ़टीपी क्लाइंट है जो FTP, SSH और SFTP को सपोर्ट करता है।

WS_FTP – यह विंडोज एफ़टीपी क्लाइंट है जो SSH को सपोर्ट करता है।

एफ़टीपी क्लाइंट के उदाहरण (Examples Of FTP Clients)

जैसा कि हमने ऊपर बताया कि एफ़टीपी सर्वर को एक्सेस करने के लिए कुछ विशेष सॉफ्टवेयर की आवश्यकता होती है, जिन्हे एफ़टीपी क्लाइंट भी कहा जाता है। निम्नलिखित कुछ प्रमुख एफ़टीपी सॉफ़्टवेयर के उदाहरण हैं जिनका सबसे अधिक उपयोग किया जाता है।

  • FileZilla
  • FireFTP
  • Cyberduck
  • WinSCP

एफ़टीपी के अनुप्रयोग (Applications Of FTP In Hindi)

व्यापार संगठन में एफ़टीपी का उपयोग फाइलों को सिस्टम में स्थानांतरित करने के लिए किया जाता है।

इसका उपयोग कंपनी, संगठन और सरकार द्वारा वित्त दस्तावेजों को सुरक्षित तरीके से स्थानांतरित करने के लिए किया जाता है।

यह कर्मचारी के डेटा को कर्मचारियों के साथ साझा करने में मदद करता है।

इसका इस्तेमाल आईटी कंपनियां डाटा के बैकअप के लिए भी करती हैं।

एफ़टीपी के उपयोग (Uses Of FTP In Hindi)

  • एफ़टीपी का उपयोग मुख्य रूप से फाइलों को एक सिस्टम से दूसरे सिस्टम में ट्रांसफर करने के लिए किया जाता है।
  • एफ़टीपी का इस्तेमाल सर्वर पर डाटा बैकअप के लिए भी किया जाता है।
  • एफ़टीपी की सहायता से सर्वर पर डाटा को लोड किया जा सकता है।

एफ़टीपी के फायदे (Advantage Of FTP In Hindi)

फाइल ट्रांसफर प्रोटोकॉल के कुछ प्रमुख फायदे निम्नलिखित हैं –

  • एफ़टीपी के माध्यम से, क्लाइंट एक साथ कई निर्देशिकाओं पर फाइल स्थानांतरित कर सकता है।
  • एफ़टीपी के माध्यम से फाइलों को तेज गति से स्थानांतरित किया जा सकता है।
  • एफ़टीपी में ऑटो बैकअप की सुविधा होती है जो की यूजर के लिए बहुत उपयोगी होती है।
  • एफ़टीपी के माध्यम से, क्लाइंट सर्वर से फ़ाइलों को आसानी से एक्सेस कर सकते है।

एफ़टीपी के नुकसान (Disadvantages Of FTP In Hindi)

एफ़टीपी प्रोटोकॉल के कुछ नुकसान भी हैं जैसे –

  • सभी एफ़टीपी एन्क्रिप्टेड या सुरक्षित नहीं हैं।
  • अगर आप गलत वेंडर को चुनते हैं तो एफ़टीपी आपके पूरे डाटा को प्रोटेक्ट नहीं कर पाता है जिससे हैकर्स ब्रूट फ़ोर्स अटैक्स के जरिए हजारों पासवर्ड बनाकर आपके पासवर्ड का पता लगा सकते हैं।

एफ़टीपी और एचटीटीपी के बीच अंतर (FTP Vs HTTP In Hindi)

एफ़टीपी और एचटीटीपी प्रोटोकॉल के बीच प्रमुख अंतर निम्नलिखित हैं –

  • एफ़टीपी का पूरा नाम फाइल ट्रांसफर प्रोटोकॉल है। एचटीटीपी का पूरा नाम हाइपरटेक्स्ट ट्रांसफर प्रोटोकॉल है।
  • एफ़टीपी का उपयोग सर्वर से किसी फाइल को क्लाइंट के सिस्टम पर मूव या कॉपी कर सकते है। एफ़टीपी सर्वर से डेटा (टेक्स्ट, इमेज, ऑडियो, विडियो आदि) को ब्राउज़र के द्वारा उपयोगकर्ता को दिखाता है।
  • बड़ी फ़ाइलों को स्थानांतरित करने के लिए एफ़टीपी अच्छा विकल्प है। छोटी फाइलों को स्थानांतरित करने के लिए एचटीटीपी अच्छा विकल्प है।
  • एफ़टीपी में फाइल ट्रांसफर के लिए बाइनरी कोड का इस्तेमाल किया जाता है। एचटीटीपीमें फ़ाइलों को स्थानांतरित करने के लिए MIME प्रारूप का उपयोग किया जाता है।

एफ़टीपी कमांड (FTP Command In Hindi)

एफ़टीपी के कुछ कमांड निम्नलिखित हैं –

USER – उपयोगकर्ता की पहचान को सर्वर तक पहुँचाना।
PASS – उपयोगकर्ता का पासवर्ड सर्वर तक भेजने के लिए।
OPEN – एड्रेस खोलने के लिए।
GET – रिमोट सर्वर से फ़ाइल प्राप्त करना।
SEND – एक ही सिंगल फ़ाइल भेजना।
PUT – एक फ़ाइल भेजना।
CLOSE – एफ़टीपी को डिस्कनेक्ट करना।
QUIT – पूरी तरह से रिमोट सर्वर को डिस्कनेक्ट करना और एफ़टीपी को टर्मिनेट करना।

एफटीपीएस क्या है? (What Is FTPS In Hindi)

एफटीपीएस का पूर्ण रूप “फाइल ट्रांसफर प्रोटोकॉल – सिक्योर” (File Transfer Protocol – Secure) या “फाइल ट्रांसफर प्रोटोकॉल – एसएसएल” (File Transfer Protocol – SSL) है। एफटीपी एक बहुत पुराना प्रोटोकॉल है जो 1971 से चल रहा है और उस समय डेटा एन्क्रिप्शन का उपयोग नहीं किया जाता था, तो जाहिर सी बात है कि एफटीपी में डेटा सुरक्षित नहीं है और यही इसकी सबसे बड़ी कमजोरी है।

एफटीपी की इस कमजोरी को दूर करने के लिए FTPS यानी फाइल ट्रांसफर प्रोटोकॉल सिक्योर्ड बनाया गया, जो एफटीपी की तरह काम करता है, लेकिन इसमें सारा डाटा इनक्रिप्टेड होता है, जिसे आसानी से हैक करके पढ़ा नहीं जा सकता है. आजकल ज्यादातर FTPS का इस्तेमाल होता है।

एसएफटीपी क्या है? (What Is SFTP In Hindi)

एसएफटीपी का पूरा नाम “एसएसएच फाइल ट्रांसफर प्रोटोकॉल” (SSH File Transfer Protocol) है। एफटीपीएस और एसएफटीपी में अंतर यह है कि एसएफटीपी में सिक्योर कनेक्शन के लिए एसएसएच यानी सिक्योर शेल का इस्तेमाल होता है जबकि एफटीपीएस में एफ़टीपी प्रोटोकॉल का इस्तेमाल होता है।

एसएफटीपी एक प्रकार का बाइनरी प्रोटोकॉल है जिसमें सभी कमांड बाइनरी में परिवर्तित होकर सर्वर को पैकेट के रूप में भेजी जाते है, जिससे फाइल ट्रांसफर अधिक सुरक्षित और तेज हो जाता है।

एफ़टीपी में, प्रमाणीकरण के लिए यूजर आईडी, पासवर्ड और सर्टिफिकेट का उपयोग किया जाता है जबकि एसएफटीपी कनेक्शन में यूजर आईडी, पासवर्ड के अलावा, प्रमाणीकरण के लिए SSH keys का भी उपयोग किया जा सकता है।

FAQs

एफ़टीपी क्या होता है?
फाइल ट्रांसफर प्रोटोकॉल यानी एफ़टीपी एक नेटवर्क प्रोटोकॉल है जो क्लाइंट को सर्वर से फाइल तक पहुंचने की अनुमति देता है। एफ़टीपी प्रोटोकॉल का उपयोग मुख्य रूप से दो कंप्यूटरों के बीच फाइल को ट्रांसफर करने के लिए किया जाता है।

एफ़टीपी का पूरा नाम क्या है?
एफ़टीपी का पूरा नाम फाइल ट्रांसफर प्रोटोकॉल है।

एफ़टीपी किस पोर्ट पर कार्य करता है ?
एफ़टीपी दो पोर्ट का उपयोग करता है, कमांड पोर्ट के लिए पोर्ट नंबर 21 पर और डेटा पोस्ट के लिए पोर्ट नंबर 20 पर काम करता है।

एफ़टीपी प्रोटोकॉल का आविष्कार किसने किया?
अभय भूषण ने 1971 में एफ़टीपी प्रोटोकॉल का आविष्कार किया था।

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लेख के बारे –

इस लेख में हमने आपको एफ़टीपी प्रोटोकॉल क्या है के बारे में पूरी जानकारी दी है। हम आशा करते हैं कि इस लेख को पढ़ने के बाद, आपको एफ़टीपी प्रोटोकॉल के बारे में कई उपयोगी बातें पता चली होगी, जैसे एफ़टीपी कैसे काम करता है, एफ़टीपी के प्रकार, उपयोग, फायदे, नुकसान आदि।

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