विद्यापति किस काल के कवि है (विद्यापति किस काल के कवि थे) – Vidyapati Kis Kaal Ke Kavi The

Vidyapati Kis Kaal Ke Kavi Hai – विद्यापति मिथिला के राजा कीर्तिसिंह और शिवसिंह के दरबारी कवि थे। वे संस्कृत, अपभ्रंश और मैथिली भाषा के विद्वान थे। उन्होंने अनेक ग्रन्थों की रचना की, जिसमे वे अवहट्ट तथा मैथिली और विशेषकर संस्कृत भाषा का प्रयोग अपनी रचनओं में करते थे।

आज के इस लेख में हम आपको विद्यापति किस काल के कवि थे के बारे में जानकारी देने वाले है। इसलिए इस लेख के अंत तक बने रहे, तो आइये जानते है विद्यापति किस काल के कवि है (Vidyapati Kis Kaal Ke Kavi Hai) –

विद्यापति किस काल के कवि थे (Vidyapati Kis Kaal Ke Kavi The)

विद्यापति जी आदिकाल काल के कवि हैं। उन्होंने अवहट्टा और मैथिली भाषाओं के साथ-साथ संस्कृत भाषा में भी कई ग्रंथों की रचना की है।

विद्यापति की रचनाएँ है – शैवसर्वस्वसार.प्रमाणभूत संग्रह’, गंगावाक्यावली, विभागसार, दुर्गाभक्तितरंगिणी, दानवाक्यावली, गयापत्तालक, शैवसर्वस्वसार, गोरक्ष विजय, वर्षकृत्य, मणिमंजरी नाटिका, लिखनावली, पदावली, कीर्तिलता, भूपरिक्रमा, कीर्तिपताका और पुरुष परीक्षा।

विद्यापति के बारे में (About Vidyapati In Hindi)

विद्यापति का पूरा नाम विद्यापति ठाकुर है, और अन्य नाम महाकवि कोकिल है, विद्यापति का जन्म 1350-1460 ई. माना जाता है। इनका जन्म मधुबनी जिले (बिहार) के ‘विपसी’ नामक गाँव में हुआ था। विद्यापति के गुरु का नाम पंडित हरि मिश्र था। पिता का नाम गणपति ठाकुर और माता का नाम श्रीमती गंगा देवी था। विद्यापति जी के पिता गणपति ठाकुर संस्कृत के विद्वान और राजकवि थे। विद्यापति शैव संप्रदाय के कवि थे।

विद्यापति जी की मृत्यु सन् 1440 से 1448 के बीच और मृत्यु स्थान बेगूसराय है। वे विवाहित थे और उनकी पत्नी का नाम विवाहित मंदाकिनी था। उनकी प्रसिद्ध रचनाएं है – कीर्तिलता, पदावली मणिमंजरा नाटिका, गंगावाक्यावली, भूपरिक्रमा आदि।

FAQs For Vidyapati Kis Kaal Ke Kavi Hai

विद्यापति कौन से काल के कवि थे?
विद्यापति आदिकाल काल के कवि थे। ।

विद्यापति जी का जन्म कब हुआ था।
विद्यापति जी का जन्म 1352 में हुआ था।

लेख के बारे में

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