क्या पति-पत्नी का पिछले जन्म का रिश्ता होता है इन हिंदी?

क्या पति-पत्नी का पिछले जन्म का रिश्ता होता है – समाज में हमारे कई रिश्तेदार और रिश्ते होते हैं। सभी रिश्तों को निभाने का तरीका भी अलग-अलग होता है। लेकिन वैवाहिक जीवन या मैरिड लाइफ अलग और खास होती है। पति-पत्नी के रिश्ते को बरकरार रखने के लिए दोनों को कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है। क्योंकि यही बातें आपके रिश्ते की नींव होती हैं। दाम्पत्य जीवन दुपहिया वाहन है। जिसमें पति-पत्नी दो पहिये हैं। यदि किसी कारण से एक भी पहिया टूट जाए तो गाड़ी आगे नहीं बढ़ पाती। वहीं, पति-पत्नी का रिश्ता जितना मजबूत होता है, इस रिश्ते की डोर उतनी ही नाजुक होती है।

आज के इस लेख में आप जानेंगे की क्या पति-पत्नी का पिछले जन्म का रिश्ता होता है –

क्या पति-पत्नी का पिछले जन्म का रिश्ता होता है (Kya Pati Patni Ka Pichlae Janm Ka Rishta Hota Hai)

हाँ, पति-पत्नी का पिछले जन्म का रिश्ता होता है। हिंदू विवाह में पति-पत्नी के बीच जन्म-जन्मांतर का रिश्ता होता है जिसे किसी भी स्तिथि में नहीं तोड़ा जा सकता। हिंदू धर्म में माना जाता है कि पति-पत्नी का रिश्ता सात जन्मों तक चलता है।

हिन्दू धर्म में 7 फेरे और 7 वचन प्रचलित हैं। शायद इसीलिए यह मान्यता प्रचलन में आई होगी कि पति-पत्नी का रिश्ता 7 जन्मों तक चलता है।

हिंदू धर्म में तलाक और लिव-इन-रिलेशनशिप जैसी कोई बुराई नहीं है, इसीलिए यह मान्यता भी प्रबल है कि एक बार जो व्यक्ति किसी से विवाह कर लेता है, वह मृत्यु तक कायम रहता है और उस विवाह में पवित्रता बनी रहती है।

हिंदू विवाह पति-पत्नी के बीच जन्म-जन्मांतर का रिश्ता होता है जिसे किसी भी परिस्थिति में नहीं तोड़ा जा सकता। अग्नि के 7 फेरे लेने और ध्रुव तारे को साक्षी मानकर दो तन, मन और आत्मा एक पवित्र बंधन में बंध जाते हैं। हिंदू विवाह में पति-पत्नी के बीच शारीरिक संबंध से अधिक महत्व आध्यात्मिक रिश्ते को दिया जाता है।

जिस व्यक्ति ने बचपन में धर्म, अध्यात्म और दर्शन का अध्ययन न किया हो, उसके लिए विवाह एक संस्कार मात्र है। हिंदू धर्म में विवाह कोई अनुबंध या समझौता नहीं है, बल्कि यह वर्तमान को जानने के बाद ज्योतिषीय आधार पर गहन विचार-विमर्श के बाद तय किया गया एक आध्यात्मिक रिश्ता होता है।

भगवान शिव अपनी पत्नी सती से इतना प्रेम करते थे कि वे उनके बिना एक पल भी नहीं रह पाते थे। इसी प्रकार माता सती भी अपने पति शिव के प्रति इतनी प्रेम से भरी थीं कि वे अपने पिता के यज्ञ में उनका अपमान सहन नहीं कर सकीं और आत्मदाह कर लिया। लेकिन यह प्रेम ही था जिसने सती को अगले जन्म में भगवान शिव से मिला दिया। वह पार्वती के रूप में पैदा हुईं और अंततः उन्हें अपने पिछले जन्म की सभी यादें वापस आ गईं।

लेख के बारे में

आज के इस लेख में हमने आपको क्या पति-पत्नी का पिछले जन्म का रिश्ता होता है के बारे में जानकारी दी है। हमे उम्मीद है आपको यह लेख अच्छा लगा होगा। अगर आपको यह लेख क्या पति-पत्नी का पिछले जन्म का रिश्ता होता है (Kya Pati Patni Ka Pichlae Janm Ka Rishta Hota Hai) अच्छा लगा है तो इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करे।

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