बेस्टी का मतलब क्या होता है (Bestie Ka Matlab Kya Hota Hai) – Meaning Of Bestie In Hindi

My Bestie Meaning In Hindi: यह शब्द आपने कई न कई जरूर सुना होगा। स्कूल या फिर कॉलेज में आपने यह शब्द जरूर सुना होगा। और अगर आप सोशल मीडिया पर एक्टिव रहते है तो आपने यह शब्द वंहा देगा होगा।

लेकिन बहुत से लोगो को इसका मतलब पता नहीं होता। बहुत से लोग नहीं जानते है की बेस्टी क्या होता है, बेस्टी का मतलब क्या होता है। इसलिए आज के इस लेख बेस्टी इन हिंदी में हम आपको इसके बारे में जानकारी देने वाले है।

आज के लेख में आप जानेंगे की बेस्टी का मतलब क्या होता है (Bestie Ka Matlab Kya Hota Hai)

बेस्टी का मतलब क्या होता है (Meaning Of Bestie In Hindi)

बेस्टी का मतलब होता है – जिगरी दोस्त, करीबी मित्र या दोस्त, प्रिय मित्र।

माय बेस्टी का मतलब क्या होता है (Meaning Of My Bestie In Hindi)

माय बेस्टी का मतलब होता है – मेरा जिगरी दोस्त, मेरा करीबी मित्र या दोस्त, मेरा प्रिय मित्र।

जब हम दुनिया में आते हैं तो कुछ रिश्ते ऐसे होते हैं जो जन्म लेते ही हमसे जुड़ जाते हैं। जैसे माता-पिता, चाचा, मामा, मामी, मामा आदि। लेकिन कुछ रिश्ते ऐसे होते हैं जो हम खुद बनाते हैं। ऐसा ही एक रिश्ता है दोस्ती। हम अपने दोस्त चुनते हैं या हमारे दोस्त हमें चुनते हैं। दोस्ती एक बहुत ही अनमोल रिश्ता होता है। और यह रिश्ता मजबूत एवं भरोसेमंद होता है।

बेस्टी कौन होता है (Who Is Bestie In Hindi)

बेस्टी एक जिगरी दोस्त होता है, जो दोस्त से भी बढ़कर होता है। दोस्त तो सभी के होते है लेकिन उनमें से कोई न कोई दोस्त ऐसा जरूर होता है जो उन सभी से बढ़कर होता है और उसे ही बेस्टी कहा जाता है।

बेस्टी वह होता है जो हमारे सुख -दुख में साथ दे, सही – गलत में फर्क बताए, गलत कार्यों के लिए रोके, अच्छे कार्यों की और प्रेरित करे और गुणों को प्रगट कर हौसला बढ़ाए।

बेस्टी से जुड़ी कृष्ण-सुदामा की कहानी

ऐसी दोस्ती की मिसाल है। यह दृष्टांत भगवान कृष्ण और सुदामा की मित्रता पर है।

कृष्ण और सुदामा ने एक ही गुरु के आश्रम से शिक्षा ग्रहण की और उसी दौरान वे दोनों घनिष्ठ मित्र बन गए। कालांतर में, कृष्ण द्वारका के राजा बने और सुदामा को गरीबी का सामना करना पड़ा।

एक बार सुदामा की पत्नी ने सुदामा को कृष्ण के पास जाकर मदद मांगने को कहा। सुदामा ने चावल की गठरी बांधी और कृष्ण के देश निकल पडे।

जब वह द्वारका पहुंचे तो सैनिकों ने कृष्ण के महल में प्रवेश करने से इनकार कर दिया। तभी कृष्ण अपने परम मित्र सुदामा को देखकर दौड़े आए और उन्हें गले से लगा लिया।

कृष्ण सुदामा को लेकर अंदर गए और उन्हें अपने पास बिठाया और खूब बातें कीं। तब कृष्ण ने सुदामा से पूछा कि भाभी ने क्या भेजा है? फिर वह चावल की पोटली सुदामा देने में झिझक रहे थे।

फिर उन्होंने वह चावल की पोटली कृष्ण को दे दी और कृष्ण ने उस पोटली से दो मुट्ठी चावल लिए और बड़े प्रेम से खाये। सुदामा कुछ दिन वहीं रहे और फिर अपने घर चले गए।

रास्ते में सुदामा ने सोचा कि कृष्ण ने उन्हें कुछ नहीं दिया है, तो वे घर जाकर अपनी पत्नी और बच्चों से क्या कहेंगे। जब वे घर पहुंचे तो उनका घर महल में तब्दील हो चुका था। यह देखकर वह स्तब्ध हो गए। तब उन्हें पता चला कि कृष्ण ने उन्हें यह सब दिया है।

दोस्ती के बारे में –

इस दुनिया में दोस्ती का रिश्ता अनोखा होता है। जिन दोस्तों के साथ आप हंसते-मुस्कुराते हैं, सुख-दुख बांटते हैं और समस्याओं से जूझते भी हैं। अगर दोस्त न होते तो जीवन कितना नीरस और औपचारिक होता! दोस्त ही तो होते हैं जो जीवन में तरह-तरह के रंग भरते हैं। उनका साथ ऐसा मजेदार है कि आप बीमारी और बुढ़ापे के दर्द को भूल जाते हैं।

दोस्ती मानसिक, शारीरिक और सामाजिक स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी है। आमतौर पर हम जीवन में सफलता का श्रेय पारिवारिक रिश्तों को ही देते हैं। लेकिन दोस्ती जीवन का एक ऐसा घटक है, जो हमारे हर व्यवहार को एक दिशा देती है।

जीवन में दोस्ती अकेलेपन से निपटने में मदद करती है। दोस्ती एक ऐसा तरीका है जो हमें हंसने, खुश रहने, स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहने और जीवन में कुछ अच्छे पल खोजने में मदद करती है। दोस्ती वयस्कों में कुशलता और सामाजिक सहयोग को बढ़ाती है।

मनोवैज्ञानिकों और समाजशास्त्रियों ने इस विषय पर लगातार कई शोध किए हैं और कई रोचक तथ्यों की पुष्टि की है। ला ग्राका और हैरिसन ने 2005 में अपने शोध के माध्यम से बताया कि जिन बच्चों में दोस्ती की गुणवत्ता कम होती है उनमें अवसाद के लक्षण दिखने की संभावना अधिक होती है।

जैसा दोस्त चाहते हैं, वैसा ख़ुद भी बनें

हर कोई एक विश्वसनीय मित्र की तलाश में रहता है। अकेलापन किसी को पसंद नहीं होता, हर किसी को एक ऐसा दोस्त चाहिए जिससे वह अपने दिल की बात कह सके, अपने सुख-दुख, प्रतिष्ठा और सम्मान, क्रोध और विचारों को साझा कर सके। दोस्ती एक ऐसा रिश्ता है जो दो लोगों को बांधता है लेकिन बंधन में नहीं डालता।

हम जीवन के विभिन्न चरणों में दोस्त बनाते हैं, उनमें से कुछ समय के साथ खो जाते हैं लेकिन हमारी यादों में हमेशा के लिए रहते हैं। बचपन से ही दोस्ती की मिसालें दी जाती हैं।

एक अच्छा दोस्त पाने का एकमात्र तरीका एक अच्छा दोस्त बनना है। यानी आप जिस तरह के दोस्त की तलाश कर रहे हैं या अपने दोस्त से जैसा चाहते हैं, वैसे खुद भी बनें। किसी ने सच ही कहा है कि दोस्ती एक बचत खाते की तरह होती है। निकालते रहेंगे तो खाता खाली हो जाएगा, इसलिए इसमें नियमित रूप से पैसा जमा करना भी जरूरी है।

ऐसी दोस्ती से बाहर निकलें

कई बार हम ऐसे व्यक्तियों को मित्र के रूप में स्थान दे देते हैं जो सामने मीठा बोलते हैं, प्रेम दिखाते हैं लेकिन मन में विषैले विचार रखते हैं, पीठ पीछे बुराई करते हैं और अवसर मिलने पर हमें हानि पहुँचाते हैं। इनकी पहचान कर समय रहते इन्हें जीवन से निकाल देना चाहिए। वास्तविकता को स्वीकार करना ऐसी मित्रता को समाप्त करने का पहला कदम है।

दोस्ती चुनना आपका अधिकार है। अगर आपका दोस्त आपके साथ लगातार गलत व्यवहार करता है या आपके स्वाभिमान को ठेस पहुंचाता है तो ऐसे दोस्त से दूर रहना ही बेहतर है। यह आत्मविश्वास और मानसिक स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं है। अपने प्रति दुर्व्यवहार को नज़रअंदाज़ करना ही भविष्य में उस व्यवहार को प्रोत्साहित करेगा। इसे वहीं रोकना ही उचित है। अपनी भावनाओं को सही समय पर व्यक्त करें।

एक हानिकारक दोस्ती से बाहर निकलने के लिए और अपनी गरिमा के लिए, उस व्यक्ति को स्पष्ट रूप से बताएं कि आप दोस्ती से असहज हैं। कभी-कभी गलती दोनों पक्षों की होती है, इसलिए इस तरह की दोस्ती में आपकी जगह क्या है, इसे जांचें और समझें। आपने जहां गलती की है उसे समझें और स्वीकार करें।

दोस्ती को खत्म करने का सही तरीका चुनें, क्योंकि यह आप पर निर्भर है कि दोस्ती को कड़वी भावनाओं और यादों के साथ खत्म करना है या आपसी शुभकामनाओं के साथ। एक-दूसरे को क्षमा करना और गिले-शिकवे दूर करना ऐसी दोस्ती को सकारात्मक मोड़ पर खत्म करने में मदद करेगा।

सच्ची दोस्ती की पहचान

सच्ची दोस्ती को पहचानना भी एक कला है जो हर कोई नहीं कर सकता। हम सभी ने आदर्श मित्रता की कहानियाँ पढ़ी हैं – कृष्ण और सुदामा, कर्ण और दुर्योधन, कृष्ण और द्रौपदी, सीता और त्रिजटा निःस्वार्थ मित्रता के अद्वितीय उदाहरण हैं। एक अच्छा दोस्त एक दवा की तरह होता है जो हमें लगातार स्वस्थ और सुखी जीवन का मूल्य बताता है।

आचार्य चाणक्य के अनुसार… मित्र चुनते समय इन बातों का ध्यान रखना चाहिए – मित्रता की नींव विश्वास और समर्पण है। जीवन में सफलता के लिए एक सच्चे दोस्त का चुनाव बहुत जरूरी है। मित्रता निःस्वार्थ होनी चाहिए, उसमें स्वार्थ, ईर्ष्या और लोभ नहीं होना चाहिए। मित्रों के चुनाव में ऐसे मित्र बनाना आवश्यक है जो स्पष्टवादी हों, सही को सही और गलत को गलत कह सकें, अर्थात स्पष्ट हृदय वाला व्यक्ति ही सच्चा मित्र बन सकता है।

महाकवि तुलसीदास जी के अनुसार… वे कहते हैं कि सच्चा मित्र वही है जो अपने मित्र को बुरे रास्ते से सही रास्ते पर लाता है और अवगुणों को छिपाकर गुणों को प्रकट करके उसे प्रोत्साहित करता है।

FAQs For Meaning Of Bestie In Hindi

बेस्टी का हिंदी में मतलब क्या होता है?
बेस्टी का हिंदी में मतलब होता है – जिगरी दोस्त।

माय बेस्टी का हिंदी में मतलब क्या होता है?
माय बेस्टी का हिंदी में मतलब होता है – मेरा जिगरी दोस्त।

क्या लड़के और लड़कियां बेस्टी हो सकते हैं?
हाँ, लड़के और लड़कियां बेस्टी हो सकते हैं।

लेख के बारे में

आज के इस लेख में हमने आपको माय बेस्टी का मतलब क्या होता है (My Bestie Meaning In Hindi) के बारे में जानकारी दी है। हमे उम्मीद है आपको यह लेख अच्छा लगा होगा। अगर आपको यह लेख बेस्टी मीनिंग इन हिंदी अच्छा लगा है तो इसे अपनों के साथ भी शेयर करे।

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