राउटर क्या है, इसके प्रकार और कैसे करता है काम – Router In Hindi

What Is Router In Hindi: आपने कभी न कभी राउटर का नाम तो सुना ही होगा, लेकिन शायद आप में से कम ही लोग जानते होंगे कि राउटर क्या होता है। राउटर एक बहुत ही महत्वपूर्ण डिवाइस है जिसके बारे में आज के समय में सभी को जानना जरूरी है।

क्या आपने कभी सोचा है कि आप व्हाट्सएप या फेसबुक से दूर बैठे अपने दोस्त को कैसे मैसेज कर सकते हैं, ऐसे कई सवाल आपके मन में आते होंगे। हमने यह लेख आपके सभी सवालों के समाधान के लिए लिखा है।

इस लेख में आप जानेंगे कि राउटर क्या है, राउटर कितने प्रकार के होते हैं, राउटर के कौन से भाग होते हैं, राउटर के क्या फायदे हैं आदि। इस लेख को पूरा पढ़ने के बाद आपको लगभग पूरी जानकारी मिल जाएगी। इसलिए इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ें।

तो चलिए आपका ज्यादा समय न लेते हुए इस लेख को शुरू करते हैं और जानते हैं राउटर क्या है (Router Kya Hota Hai) –

राउटर क्या है? (Router Kya Hai In Hindi)

राउटर एक हार्डवेयर डिवाइस है जिसका उपयोग नेटवर्क के बीच डेटा पैकेट को ट्रांसफर करने के लिए किया जाता है। इंटरनेट से डेटा हमेशा पैकेट के माध्यम से भेजा जाता है, और राउटर विभिन्न नेटवर्कों पर कंप्यूटरों में ट्रैफिक को निर्देशित करने का काम करते हैं। ऐसे कम से कम दो नेटवर्क होने चाहिए जिनके भीतर राउटर जुड़ा हो, यानी या तो दो लेन या एक लेन और एक वेन।

अधिकांश राउटर गेटवे पर रखे जाते हैं जहां नेटवर्क जुड़े होते हैं। बाजार में कई तरह के राउटर उपलब्ध हैं जिनका इस्तेमाल डाटा पैकेट को फॉरवर्ड करने के लिए किया जाता है। राउटर आमतौर पर पैकेट को तेजी से पहुँचाने के लिए निर्देशित करने के लिए सबसे अच्छा मार्ग चुनते हैं।

राउटर एक नेटवर्क डिवाइस है जो उपयोगकर्ता को इंटरनेट सुविधा प्रदान करता है। यानी इसका इस्तेमाल यूजर इंटरनेट एक्सेस करने के लिए करता है। राउटर की मदद से कोई भी यूजर आसानी से इंटरनेट एक्सेस कर सकता है और जरूरी डेटा को एक डिवाइस से दूसरे डिवाइस में ट्रांसफर कर सकता है।

राउटर डेटा पैकेट के रूप में एक डिवाइस से दूसरे डिवाइस में डेटा ट्रांसफर करता है। आज के समय में इंटरनेट पर सारा डेटा डेटा पैकेट के रूप में मौजूद होता है।

राउटर पहले डेटा पैकेट का विश्लेषण करता है और फिर प्रोसेस करता है। इसके बाद राउटर के साथ जो भी डिवाइस आपस में कनेक्ट होती है, उन डिवाइस में डेटा ट्रांसफर कर देता है। इसमें डेटा को ट्रांसफर करने के लिए रूटिंग प्रोटोकॉल का इस्तेमाल किया जाता है।

इसका उपयोग लेन (लोकल एरिया नेटवर्क) और वेन (वाइड एरिया नेटवर्क) में किया जाता है। राउटर दूसरे नेटवर्किंग उपकरणों जैसे हब, स्विच आदि की तुलना में महंगा है।

राऊटर की परिभाषा (Definition Of Router In Hindi)

राउटर एक नेटवर्किंग डिवाइस है जिसका उपयोग दो या दो से अधिक कंप्यूटर नेटवर्क के बीच डेटा पैकेट को ट्रांसफर करने के लिए किया जाता है।

दूसरे शब्दों में, “राउटर एक इंटरनेटवर्किंग डिवाइस है जिसका उपयोग कंप्यूटर नेटवर्क के बीच डेटा पैकेटको भेजने और प्राप्त करने के लिए किया जाता है।”

राउटर का इतिहास (History Of Router In Hindi)

पहला राउटर 1974 में बनाया गया था, लेकिन राउटर का विचार कंप्यूटर नेटवर्किंग रिसर्च के एक समूह से मिला था, जो कि इंटरनेशनल नेटवर्किंग वर्किंग ग्रुप नामक एक संस्था थी।

राउटर को विकसित करने के लिए 1972 में इंटरनेशनल फेडरेशन फॉर इंफॉर्मेशन प्रोसेसिंग नामक एक कमेटी का गठन किया गया था। 1970 के दशक के मध्य से 1980 के दशक तक मिनी कंप्यूटरों को राउटर के रूप में उपयोग किया गया था।

आज के समय में आधुनिक हाई स्पीड राउटर फ़ास्ट डाटा पैकेट फॉरवार्डिंग के लिए एन्क्रिप्शन जैसी सुरक्षा का उपयोग करते हैं।

राउटर कैसे काम करता है? (How Does Router Work In Hindi)

राउटर का मुख्य कार्य और उपयोग नेटवर्क के बीच डेटा पैकेट को स्थानांतरित करने का होता है। राउटर डेटा पैकेट को प्राप्त करता है और इसे वहां भेजता है जहां इसे भेजना होता है।

जैसे आप सोशल मीडिया के जरिए दूर बैठे किसी दोस्त को मैसेज भेजते हैं तो सबसे पहले मैसेज पैकेट के रूप में तब्दील होकर पास के राउटर तक पहुंचता है। जिसके बाद राउटर रूटिंग प्रोटोकॉल से रूटिंग टेबल को चेक करता है।

रूटिंग टेबल के आसपास जितने भी राऊटर हैं उन सभी का एड्रेस और पाथ डिस्टेंस होता है और पैकेट को सबसे पास वाले राऊटर के पास फॉरवर्ड किया जाता है जिसमें प्राप्तकर्ता का आईपी होता है।

जब पैकेट अगले राऊटर के पास पहुँचता है तो वह भी सबसे आसान रास्ता चुनता है और अगले राऊटर के पास भेज दिया जाता है, और इसी तरह से पैकेट रिसीवर के कंप्यूटर के पास पहुँच जाता है।

राऊटर कई नेटवर्क को जोड़ता है और रूटिंग टेबल को मेन्टेन करने का काम भी करता है। सभी राउटर अपने आसपास के राउटर के बारे में सारी जानकारी भी रखते हैं।

रूटिंग टेबल क्या है? (Routing Table In Hindi)

रूटिंग टेबल बहुत से रूल से बना होता है। यह हमेशा टेबल के रूप में रहता है। रूटिंग टेबल का उपयोग यह निर्धारित करने के लिए किया जाता है कि इंटरनेट प्रोटोकॉल नेटवर्क किस दिशा में भेजा जाएगा।

रूटिंग टेबल में वह सभी जानकारी होती है जो पैकेट को गंतव्य तक भेजने के लिए सबसे आसान रास्ता चुनने में मदद मिलती है।

रूटिंग टेबल में निम्न जानकारी होती है –

  • जिस गंतव्य पर पैकेट भेजा जाना है उसका आईपी पता।
  • अगले नेटवर्क डिवाइस का आईपी पता।
  • उस नेटवर्क के इंटरफेस की जानकारी जिसमें पैकेट भेजना है।
  • रूटिंग तालिका में मौजूद सभी रूट की कॉस्ट ।
  • राउटर से जुड़े सभी नेटवर्क या अन्य डिवाइस के बारे में जानकारी।

राउटर के प्रकार क्या है? (Types Of Router In Hindi)

उपयोग करने के आधार पर आपको बाजार में विभिन्न प्रकार के राउटर मिल जाएंगे, जिनमें से सबसे अधिक उपयोग किए जाने वाले राउटर निम्नलिखित हैं –

1 – वायरलेस राऊटर (Wireless Router)

वायरलेस राउटर का इस्तेमाल ऑफिस, घर, स्कूल, रेलवे स्टेशन आदि में किया जाता है। यह वायरलेस सिग्नल बनाता है। मान लीजिए कि आप ऑफिस में हैं तो आप वायरलेस सिग्नल का इस्तेमाल कर इंटरनेट से कनेक्ट कर सकते हैं।

आप यूजर आईडी और पासवर्ड डालकर राउटर को सिक्योरिटी प्रदान कर सकते हैं। जब आप राउटर से कनेक्ट करने का प्रयास करते हैं, तो यह पासवर्ड और यूजर आईडी मांगेगा। यूजर आईडी और पासवर्ड डिवाइस के साथ आते हैं। सिक्योरिटी के कारण, उपयोगकर्ता के बारे में किसी भी इनफार्मेशन को नुकसान नहीं होता है।

जब हम पब्लिक प्लेसेस पर जाते हैं, तो हम देख सकते हैं कि हमारे फोन पर इंटरनेट का उपयोग करने के लिए एक वाई-फाई विंडो पॉप अप तैयार होगी और आप देख सकते हैं कि यह पासवर्ड से सुरक्षित है। वायरलेस राउटर सार्वजनिक रूप से उपलब्ध हैं। कई उपयोगकर्ता अपने डिवाइस को वायरलेस राउटर से जोड़ सकते हैं।

2 – वायर्ड राउटर (Wired Router)

जैसा कि इसका नाम ही इसके अर्थ को परिभाषित करता है। वायर्ड राउटर में नेटवर्क से जुड़ने के लिए एक वायर का उपयोग किया जाता है।

यदि आप किसी बैंक या छोटे कॉलेज, या कार्यालय में जाते हैं, तो आप देख सकते हैं कि एक पीसी या लैपटॉप ईथरनेट केबल का उपयोग कर इंटरनेट से जुड़ा हुआ है, और यही एक वायर्ड राउटर है।

इसमें एक अलग वाई-फाई एक्सेस प्वाइंट है। अगर कोई उपयोगकर्ता फोन से कनेक्ट करना चाहता है तो वह VIOP (वॉयस-ओवर आईपी टेक्नोलॉजी) का उपयोग कर सकता है। एक ADSL (मॉडेम) है जिसमें ईथरनेट और मोबाइल फोन से कनेक्ट करने के लिए दो जैक हैं।

3 – एज रूटर (Edge Router)

एज राउटर वायर्ड या वायरलेस हो सकता है और एक या अधिक नेटवर्क के मध्य इंटरनेट डेटा पैकेट वितरित कर सकता है। पर यह नेटवर्क के अंदर इंटरनेट डाटा पैकेट वितरित नहीं करेगा।

4 – कोर रूटर (Core Router)

कोर राउटर को इंटरनेट बैकबोन या कोर में संचालित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह कोर इंटरनेट में अधिकतम गति और उपयोग के कई दूरसंचार इंटरफेस (टेलेकम्युनिकशन्स इंटरफ़ेस) को सपोर्ट करता है।

यह उन सभी पर आईपी पैकेट्स को पूरी स्पीड से फॉरवर्ड कर सकता है। यह कोर में उपयोग किए जाने वाले रूटिंग प्रोटोकॉल का समर्थन करता है। कोर राउटर नेटवर्क के भीतर इंटरनेट डेटा पैकेट वितरित करता है। लेकिन इंटरनेट कोर नेटवर्क के बीच डाटा पैकेट वितरित नहीं करेगा।

5 – वर्चुअल राउटर (Virtual Router)

कंप्यूटर शेयरिंग नेटवर्क के लिए वर्चुअल राउटर डिफ़ॉल्ट है। यह वर्चुअल राउटर रिडंडेंसी प्रोटोकॉल (वीआरआरपी) के अनुसार काम करता है। यह तब सक्रिय हो जाता है जब मुख्य या प्राथमिक राउटर विफल हो जाता है या अक्षम हो जाता है।

यह एक समूह में कई राउटर लेता है ताकि वे एक वर्चुअल आईपी एड्रेस साझा कर सकें। आईपी ​​पैकेट को संभालने वाले प्रत्येक समूह के लिए एक मास्टर है। यदि पैकेट फॉरवार्डिंग करते समय मास्टर विफल हो जाता है, तो अन्य राउटर एक स्थिति ले लेते हैं।

राऊटर के भाग (Component Of Router In Hindi)

राऊटर के विभिन्न भाग इस प्रकार हैं –

1 – सीपीयू (CPU)

आपको पता होना चाहिए कि सीपीयू कंप्यूटर का दिमाग है और यह ऑपरेटिंग सिस्टम को चलाता है। ऑपरेटिंग सिस्टम राउटर के सभी घटकों का प्रबंधन करता है।

2 – फ्लैश मेमोरी (Flash Memory)

चूँकि राऊटर एक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है और प्रत्येक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण के लिए एक मेमोरी की आवश्यकता होती है जिसमें ऑपरेटिंग सिस्टम स्टोर रहता है। रूटिंग एल्गोरिदम, रूटिंग टेबल, रूटिंग प्रोटोकॉल इत्यादि फ्लैश मेमोरी में संग्रहीत होते हैं।

3 – नॉन-वोलेटाइल रैम (Non-Volatile RAM)

यह एक स्थायी मेमोरी होती है। इसके अंदर ऑपरेटिंग सिस्टम का बैकअप और स्टार्टअप वर्शन स्टोर रहता है। राउटर बूट होने में इस मेमोरी से प्रोग्राम लोड होते हैं।

4 – नेटवर्क इंटरफ़ेस (Network Interface)

राउटर में कई नेटवर्क इंटरफेस होते हैं। ऑपरेटिंग सिस्टम में बहुत सरे ड्राइवर होते हैं। ड्राइवर की मदद से ही राउटर को पता चलता है कि कौन से पोर्ट में कौन से नेटवर्क का वायर कनेक्ट है।

5 – कंसोल (Console)

कंसोल का काम राऊटर को मैनेज और कॉन्फिगर करना है। एक डिवाइस से दूसरे डिवाइस को आपस में कनेक्ट और डाटा साझा करने का काम करता है।

राउटर के कार्य (Function Of Router In Hindi)

मुख्य रूप से राउटर दो प्रकार के कार्य करता है –

फॉरवार्डिंग (Forwarding) – राउटर इनपुट पोर्ट से पैकेट प्राप्त करता है और इसे जांचने जैसा बुनियादी काम करता है। फिर पैकेट को डंप करने के लिए एक उपयुक्त आउटपुट पोर्ट खोजने के लिए रूटिंग टेबल को दिखाता है और पैकेट को आगे आउटपुट पोर्ट पर फॉरवर्ड करता है।

रूटिंग (Routing ) – रूटिंग वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा राउटर यह पता लगाता है कि पैकेट का रिसीवर तक पहुंचाने के लिए सबसे अच्छा रूट कौन सा है।

राउटर के फायदे (Benefits Of Router In Hindi)

राउटर के फायदे हमने आपको नीचे बताए हैं –

  1. राऊटर के कोलिशन फीचर की मदद से नेटवर्क ट्रैफिक को कम कर सकते हैं।
  2. वायर्ड या वायरलेस नेटवर्क से कनेक्ट करना आसान है।
  3. राउटर में जानकारी का कोई नुकसान नहीं होता है।
  4. ईथरनेट केबल, वाईफाई, डब्ल्यूएलएएन आदि की मदद से राउटर कई नेटवर्क आर्किटेक्चर से कनेक्ट हो सकता है।
  5. वायरलेस राउटर की मदद से पीसी या लैपटॉप को इंटरनेट से जोड़ना आसान है।
  6. राऊटर को पासवर्ड से अधिक सुरक्षित बना सकते हैं।

राउटर के नुकसान (Disadvantages Of Router In Hindi)

  1. राउटर डेटा को पूरी तरह से एनालाइज करता है, जिससे राउटर डेटा को एनालाइज करने में काफी समय लेता है। जिससे इसकी स्पीड काफी स्लो हो जाती है और इंटरनेट कनेक्शन भी स्लो हो जाता है।
  2. राउटर किसी भी अन्य नेटवर्किंग डिवाइस की तुलना में बहुत अधिक महंगे होते हैं क्योंकि इसमें सुरक्षा और ब्रिज जैसी सुविधाएं होती हैं, जिससे यह डिवाइस और भी महंगा हो जाता है, जिसके कारण राउटर को सेटअप करने में काफी पैसा खर्च होता है।
  3. इसको इम्पलीमेंट करने के लिए बहुत सारे कॉन्फ़िगरेशन और NAT की आवश्यकता होती है, NAT और कॉन्फ़िगरेशन के बिना राउटर को सेट करना बहुत मुश्किल होता है। इसके अलावा साधारण राउटर के सेटअप में प्राइवेट आईपी एड्रेस की भी जरूरत होती है, जिससे राउटर के इम्पलीमेंट करने की प्रक्रिया काफी कठिन हो जाती है।
  4. कम्युनिकेशन के लिए राउटर डायनामिक रूटिंग तकनीक का इस्तेमाल करता है जिससे नेटवर्किंग में ओवरहेड्स की समस्या उत्पन्न हो जाती है। ओवरहेड्स की समस्या के कारण यह बहुत अधिक मात्रा में बैंडविड्थ का उपयोग करता है जिसके कारण राउटर में बैंडविड्थ की कमी हो जाती है और राउटर ठीक से काम नहीं कर पाता है।

राउटर के अनुप्रयोग (Applications Of Router In Hindi)

इसका प्रयोग कई जगहों पर किया जाता है।

  1. इसका उपयोग हार्डवेयर डिवाइस को रिमोट लोकेशन नेटवर्क और सर्वर के साथ जोड़ने के लिए किया जाता है। सीधे शब्दों में कहें तो राउटर का उपयोग हार्डवेयर डिवाइस को उन नेटवर्क और सर्वर के साथ जोड़ने के लिए किया जाता है जो हार्डवेयर डिवाइस की पहुंच से बहुत दूर होते हैं।
  2. इसका उपयोग डेटा ट्रांसमिशन की प्रक्रिया को तेज गति देने के लिए किया जाता है। जिसकी मदद से डाटा को एक डिवाइस से दूसरे डिवाइस में हाई स्पीड से ट्रांसफर किया जा सके। राउटर डेटा को ट्रांसफर करने के लिए उच्च एसटीएम लिंक का उपयोग करता है जिसके कारण यह वायरलेस और वायर्ड संचार दोनों का समर्थन करता है।
  3. इसका उपयोग इंटरनेट सेवा प्रदाता द्वारा ई-मेल, वेब पेज, चित्र, ऑडियो और वीडियो फ़ाइलों को स्थानांतरित करने के लिए किया जाता है। राउटर इन फाइल्स को आईपी एड्रेस की मदद से दुनिया के किसी भी कोने में आसानी से ट्रांसफर कर सकता है।
  4. वेन कम्युनिकेशन के लिए सॉफ्टवेयर टेस्टर्स द्वारा राउटर का उपयोग किया जाता है।
  5. इसका उपयोग वायरलेस नेटवर्क में वीपीएन को कॉन्फ़िगर करने के लिए किया जाता है।
  6. इसका उपयोग डाटा को स्टोर करने के लिए भी किया जाता है। राऊटर में डाटा स्टोर करने की पूरी क्षमता होती है जिसके कारण यह किसी भी प्रकार के डाटा को आसानी से स्टोर कर सकता है।

यह भी पढ़ें –

FAQs For Router Kya Hai In Hindi

कंप्यूटर नेटवर्क में राउटर का उपयोग क्या है?
कंप्यूटर नेटवर्क में, राउटर का काम नेटवर्क के बीच डेटा पैकेट को ट्रांसफर करना है।

राउटर का काम क्या है?
राउटर का काम डाटा पैकेट फॉरवार्डिंग और रूटिंग करना होता है।

डेटा को एक जगह से दूसरी जगह किस रूप में भेजा जाता है?
डेटा को एक जगह से दूसरे जगह में पैकेट के रूप में भेजा जाता है।

लेख के बारे में –

राउटर एक हार्डवेयर डिवाइस है जिसका उपयोग नेटवर्क के बीच में डेटा पैकेट को ट्रांसफर करने के लिए किया जाता है।

इस लेख को पढ़ने के बाद आप समझ गए होंगे कि राउटर क्या है और राउटर कितने प्रकार के होते हैं। आशा करते हैं कि आपको हमारा यह लेख पसंद आया होगा। इस लेख को अपने दोस्तों के साथ सोशल मीडिया पर भी शेयर करें।

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