मीराबाई का जन्म और मृत्यु – मीराबाई का जन्म कब हुआ था, मीरा बाई की मृत्यु कब हुई थी?

मीराबाई का जन्म और मृत्यु – मीराबाई भगवान कृष्ण की बहुत बड़ी भक्त थीं, जिन्हें “राजस्थान की राधा” भी कहा जाता है। मीराबाई एक अच्छी गायिका, कवयित्री और संत भी थीं। उनका जन्म मध्यकालीन राजपूताना (वर्तमान राजस्थान) के मेड़ता शहर के कुडकी गांव में हुआ था। मीरा बचपन से ही भगवान श्री कृष्ण पर मोहित थी। भगवान कृष्ण के प्रति इसी लगाव के कारण वह उनकी भक्ति में जुट गईं और आजीवन भक्ति में लीन रहीं। आज मीराबाई की गिनती महान भक्तों में होती है।

लेकिन क्या आप जानते है मीराबाई का जन्म कब हुआ था, मीरा बाई की मृत्यु कब हुई थी और मीराबाई की मृत्यु कैसे हुई थी? अगर नहीं तो आज के इस लेख को आखिरी तक अवश्य पढ़े, क्योकि आज के इस लेख में हम आपको मीराबाई का जन्म और मृत्यु के बारे में जानकारी देने वाले है, तो आइये जानते है मीराबाई का जन्म और मृत्यु कब हुई थी (Mirabai Ka Janam Aur Mrityu Kab Hui Thi) –

मीराबाई का संक्षिप्त परिचय (Brief Introduction Of Meera Bai In Hindi)

नाम – मीराबाई
बचपन का नाम – पेमल
माता का नाम – वीर कुमारी
पिता का नाम – रतनसिंह राठौड़
पति का नाम – राणा भोजराज सिंह
जन्म – 1498 ई. कुड़की ग्राम, मेड़ता
मृत्यु – 1547 ई. रणछोड़ मंदिर डाकोर, द्वारिका
जीवनकाल – 48 से 49 वर्ष
पुत्र – नहीं
पुत्री – नहीं
धर्म – हिन्दू

मीराबाई का जन्म कब हुआ था (Mirabai Ka Janam Kab Hua Tha)

मीराबाई का जन्म 1498 ई. हुआ था।

मीराबाई की मृत्यु कब हुई थी (Mirabai Ki Mrityu Kab Hui Thi)

मीराबाई की मृत्यु 1547 ई. में हुई थी।

मीराबाई की मृत्यु कैसे हुई थी (Mirabai Bai Ki Mrityu Kaise Hui Thi)

मीराबाई राजस्थान के जोधपुर के मेड़वा राजकुल की राजकुमारी थीं। वह अपने पिता रतन सिंह की इकलौती संतान थीं। जब मीराबाई छोटी थीं तब उनकी माता की मृत्यु हो गई, जिसके बाद उनके दादा राव दूदा उन्हें मेड़ता ले आए और यहीं उनकी देखरेख में मीराबाई का पालन-पोषण हुआ। मीराबाई का मन बचपन से ही कृष्ण भक्ति में लीन था। उन्होंने बचपन से ही कृष्ण की छवि अपने मन में बसा ली थी और बचपन से लेकर युवावस्था और जीवन भर उन्हीं को अपना सब कुछ मानकर उनकी भक्ति में लीन रहीं। मीराबाई ने कृष्ण को अपना पति मान लिया था इसलिए वह विवाह नहीं करना चाहती थीं, जिसके बाद उनकी इच्छा के विरुद्ध उनका विवाह राजकुमार भोजराज से कर दिया गया।

मीराबाई की शादी के कुछ समय बाद ही उनके पति की मृत्यु हो गई, जिसके बाद वह कृष्ण भक्ति में और भी अधिक लीन हो गईं। मीराबाई को पति के साथ सती करना चाहा लेकिन वह इसके लिए नहीं मानी, क्योंकि वह कृष्ण को अपना स्वामी मानती थीं। कहा जाता है कि इसी वजह से उन्होंने अपना श्रंगार भी नहीं उतारा था। इसके बाद मीराबाई की अनुपस्थिति में उनके पति राणा भोजराज सिंह का अंतिम संस्कार किया गया।

मीराबाई के पति की मृत्यु के बाद उनकी भक्ति दिन-ब-दिन बढ़ती चली गई। वह मंदिर जाती थीं और इतनी लीन हो जाती थीं कि श्रीकृष्ण की मूर्ति के सामने घंटों तक नृत्य करती रहती थीं। इस कारण मीराबाई की कृष्ण भक्ति उनके पति के परिवार को पसंद नहीं थी। इसीलिए मीराबाई को कई बार मारने की कोशिश की गई, कभी जहर देकर तो कभी जहरीले सांपों से। लेकिन श्री कृष्ण की कृपा से मीराबाई को कुछ नहीं हुआ।

इसके बाद मीराबाई वृन्दावन चली गईं और वहां से द्वारका चली गईं। इसके बाद वह साधु-संतों के साथ रहने लगीं और कृष्ण की भक्ति में लीन रहीं। मीराबाई की मृत्यु के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने जीवन भर भगवान कृष्ण की पूजा की और अपने अंतिम दिनों में भी वह भक्ति करते-करते कृष्ण की मूर्ति में समा गईं।

इतिहासकारों की माने तो अपने जीवन के अंतिम वर्षो में मीराबाई (Meera Bai) द्वारका में रहीं। 1547 ई. में मीराबाई गुजरात के डाकोर स्थित रणछोड़ मंदिर में चली गईं और वहीं विलीन हो गईं। ऐसा माना जाता है कि मीराबाई की मृत्यु 1547 ई. में रणछोड़दास के मंदिर में ही हुई थी।

आसपास के लोगों के मुताबिक, मीराबाई को मंदिर के अंदर जाते तो देखा गया था लेकिन किसी ने उन्हें वापस बाहर आते नहीं देखा।

FAQs

मीरा का जन्म और मृत्यु कब हुई?
मीरा का जन्म 1498 ई. और मृत्यु 1547 ई. में हुई थी।

मीरा बाई की मृत्यु कहाँ हुई थी?
मीरा बाई (Mirabai) की मृत्यु 1547 ई. रणछोड़ मंदिर डाकोर, द्वारिका (GUJARAT) में हुई थी।

लेख के बारे में

आज के इस लेख में हमने आपको मीराबाई का जन्म कब हुआ था, मीरा बाई की मृत्यु कब हुई थी के साथ साथ मीराबाई की मृत्यु कैसे हुई थी के बारे में भी जानकारी दी है। हमे उम्मीद है आपको यह लेख अच्छा लगा होगा, अगर आपको यह लेख मीराबाई का जन्म और मृत्यु कैसे हुई थी अच्छा लगा है तो इसे अपने दोस्तो के साथ सोशल मीडिया पर भी शेयर करे।

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