East West North South Direction In Hindi (South North East West In Hindi)

East West North South In Hindi And English: दिशाओं का हमारे जीवन में बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। दिशाओं के आधार पर हम जान पाते हैं कि हमें किस दिशा में जाना है या कोई व्यक्ति किस दिशा में खड़ा है। दिशाओं का ज्ञान होना बहुत जरूरी है। इसलिए इनका नाम सभी को पता होना चाहिए।

आज के इस लेख में हम आपको चारों दिशाओं का हिंदी मीनिंग बताएँगे, साथ ही दसों दिशाओं के नाम सहित कौन सी दिशा किस तरफ ये कैसे जाने, इसके बारे में भी जानकारी देंगे। तो आइये शुरू करते है और जानते है साउथ नार्थ ईस्ट वेस्ट इन हिंदी एन्ड इंग्लिश (South North East West In Hindi And English) –

ईस्ट वेस्ट नार्थ साउथ (East West North South Direction In Hindi)

East (पूर्व)
West (पश्चिम)
North (उत्तर)
South (पूर्व)

सभी दिशाओं के नाम (All Direction In Hindi And English)

वैसे तो मुख्य रूप से 4 दिशाएँ होती हैं, लेकिन ऊपर, नीचे और सभी दिशाओं के कोनों मिलकर कुल 10 दिशाएँ बनती हैं। जिनके नाम इस प्रकार हैं –

East (पूर्व)
West (पश्चिम)
North (उत्तर)
South (दक्षिण)
North West (उत्तर पश्चिम)
South West (दक्षिण पश्चिम)
North East (उत्तर पूर्व)
South East (दक्षिण पूर्व)
Down (नीचे)
Up (ऊपर)

हिन्दू धर्म के अनुसार 10 दिशाएँ

पूर्व
पश्चिम
उत्तर
दक्षिण
ईशान (उत्तर पूर्व)
आग्नेय (दक्षिण पूर्व)
नैऋत्य (दक्षिण पश्चिम)
वायव्य (उत्तर पश्चिम)
उर्ध्व (ऊपर)
अधो (नीचे)

कौन सी दिशा किस तरफ ये कैसे जाने?

दिशाओं का ज्ञान होना बहुत जरूरी है, इसलिए यदि आप नहीं जानते हैं कि पूर्व पश्चिम उत्तर दक्षिण दिशा किस तरफ हैं तो आइये हम आपको बताते है –

जिस दिशा से सूर्य उदय होता है अर्थात जिस दिशा से सूर्य उगता है उसे पूर्व दिशा कहते हैं। जिस दिशा में सूर्य अस्त होता है, अर्थात जिस दिशा में सूर्य डूबता है, वह दिशा पश्चिम कहलाती है। यदि सूर्य की ओर मुंह करके खड़े हों जाए तो जो दिशा हमारे बाएं हाथ की ओर होगी वह उत्तर दिशा होगी और यदि पूर्व की ओर मुख करके खड़े हों जाए तो दाहिने हाथ की जो दिशा होगी वह दक्षिण होगी।

दिशाओं का महत्व (Importance Of Directions In Hindi)

ईशान दिशा – उत्तर और पूर्व दिशा के बीच के स्थान को ईशान कोण कहते हैं। इस दिशा के देवता भगवान शिव हैं। जबकि इस दिशा का स्वामी ग्रह गुरु है। वास्तु शास्त्र के अनुसार इस दिशा में खिड़की या दरवाजे का होना बहुत ही शुभ माना जाता है। यह स्थान पूजा के लिए सर्वोत्तम है।

पूर्व दिशा – पूर्व दिशा के दिग्पाल इंद्र देव हैं। साथ ही इस दिशा के स्वामी ग्रह सूर्य देव हैं। इस दिशा में पूर्वजों का भी वास होता है। इसी वजह से वास्तु शास्त्र में इस दिशा को खुला रखने की बात कही गई है। इस दिशा में सीढ़ियां भी नहीं बनानी चाहिए।

वायव्य दिशा – उत्तर-पश्चिम के मध्य स्थान को वायव्य दिशा या कोण कहते हैं। इस दिशा के देवता वायु देवता हैं और इस दिशा के ग्रह स्वामी चंद्रमा हैं। इस दिशा में हल्की-फुल्की चीजें रखने से रिश्तों में मधुरता बनी रहती है। इस दिशा में भारी सामान नहीं रखना चाहिए।

पश्चिम दिशा – पश्चिम दिशा के देवता वरुण देव यानी जल के देवता हैं और इस दिशा के ग्रह स्वामी शनि देव हैं। इस दिशा को कभी खाली नहीं छोड़ना चाहिए। इस दिशा में भारी सामान रखना बहुत ही शुभ फलदायी होता है। इस दिशा को खाली छोड़ने से व्यापार में परेशानी आती है।

उत्तर दिशा – उत्तर दिशा के देवता भगवान धन्वंतरि यानी कुबेर देव हैं। इस दिशा का अधिपति ग्रह बुध है। वास्तु में इस दिशा को धन की दिशा माना गया है। इसलिए इस दिशा में बने कमरे में हमेशा मां लक्ष्मी की फोटो या तस्वीर लगानी चाहिए। इससे घर में आर्थिक संकट नहीं आता है।

आग्नेय दिशा – दक्षिण-पूर्व के मध्य स्थान को आग्नेय कोण कहते हैं। जैसा कि इसके नाम से पता चलता है इस दिशा के देवता अग्नि देव हैं। जबकि इस दिशा का स्वामी ग्रह शुक्र है। किचन निर्माण इस दिशा में बहुत ही शुभ माना जाता है।

दक्षिण दिशा – दक्षिण दिशा के देवता यमराज हैं, जबकि इसका स्वामी ग्रह मंगल है। इस दिशा में भारी निर्माण करना और भारी सामान रखना शुभ होता है। हालांकि वास्तु में दक्षिण दिशा में दरवाजा बनाने की मनाही है।

नैऋत्य कोण – दक्षिण और पश्चिम के बीच की दिशा नैऋत्य दिशा या कोण कहलाती है। इस दिशा के देवता नैऋत देव हैं और इस दिशा के अधिपति ग्रह राहु और केतु हैं। नैऋत्य कोण भारी एवं ऊंचा रखना चाहिए। साथ ही इस दिशा में जल का कोई स्थान नहीं होना चाहिए।

ऊर्ध्व दिशा – आकाश दिशा को ऊर्ध्व दिशा कहते हैं। इस दिशा के स्वामी ब्रह्मा हैं। इस दिशा का कोई स्वामी ग्रह नहीं हैं। वास्तु का मानना है कि इस दिशा में मुंह करके की गई प्रार्थना हमेशा पूरी होती है।

पाताल या अधो दिशा – जो दिशा पृथ्वी या पाताल की तरफ जाती है उसे पाताल या अधो दिशा कहते हैं। इस दिशा के स्वामी नाग देवता हैं। इसी वजह से कोई भी निर्माण शुरू करने से पहले या नए घर में जाने से पहले भूमि पूजन और गृह प्रवेश पूजन करने का विधान है।

FAQs For South South South South in hindi

ईस्ट वेस्ट नॉर्थ साउथ कौन कौन सी दिशा है?
वेस्ट (पश्चिम), ईस्ट (पूर्व), नॉर्थ (उत्तर), साउथ (दक्षिण) दिशा है।

ईस्ट दिशा कौन सी होती है हिंदी में?
ईस्ट दिशा पूर्व होती है।

वेस्ट दिशा कौन सी होती है हिंदी में?
वेस्ट दिशा पश्चिम होती है।

नॉर्थ दिशा कौन सी होती है हिंदी में?
नॉर्थ दिशा उत्तर होती है।

साउथ दिशा कौन सी होती है हिंदी में?
साउथ दिशा दक्षिण होती है।

चारों दिशाओं को क्या कहते हैं?
चारों दिशाओं को पूर्व, पश्चिम, दक्षिण और उत्तर कहते हैं।

मुख्य दिशा कितनी हैं?
मुख्य दिशा 4 हैं – पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण।

सारांश

आज के इस लेख में हमने आपको (East West North South Direction In Hind) के बारे में जानकारी दी है। उम्मीद है यह लेख आपको पसंद आया होगा। अगर आपको यह लेख (South North East West In Hindi) अच्छा लगा है तो इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करे।

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